Sunday 30 June 2013

पहेला भारतीय कथा चित्रपट...पाटनकरजी का प्रयास...और तोरनेजी का योगदान !


भारतीय चित्रपट के प्रवर्तकों के बारे में...मेरे पिछले लेख में आपने पढ़ा होगा। किस तरह भारत में चित्रपट माध्यम विकसित होता गया और इसमें सावे दादा से लेकर हीरालाल सेन, मदान जैसोने  किस तरह अपना शुरुआती योगदान दिया...यह आप जान गए होगे ! अब देखना है अपना पहेला कथा चित्रपट किस तरह निर्माण होता गया।

१९०३ में एडविन एस पोर्टर ने 'दी ग्रेट ट्रेन रोबरी ' यह विश्व की पहली फीचर फिल्म, (याने की कथा चित्रपट) बनायी ! अमेरिका के हॉलीवुड सिनेमा की वह जैसी शुरुआत थी!..बादमे अपने देश में पहेला कथा चित्रपट बनाने का मानस...सावे दादा याने की हरिश्चन्द्र भाटवडेकरजी का था; लेकिन उनके सहकारी भाई के गुजरने से वह कार्य अधुरा रह गया !..इसके बाद ऐसा प्रयास करने वाली व्यक्ति थी श्रीनाथ पाटनकर !..उन्होंने १९१२ में 'सावित्री ' यह कथा चित्रपट किया तो था....लेकिन उसके निर्मिती प्रक्रिया (प्रोसेसिंग) में समस्याए पैदा हुई और उसकी प्रिंट पूरी तरह से ब्लेंक आ गयी! इसके साथ सिर्फ पहले कथा चित्रपट का प्रयास नाकामयाब रहा ऐसे नहीं; बल्कि इसमे प्रमुख भूमिका निभाने वाली महिला नर्मदा मांदे का भारतीय चित्रपट की पहली स्त्री कलाकार होने का मान भी चला गया !
दादासाहब तोरने 

लेकिन इसी साल...१९१२ में ही रामचन्द्र गोपाल तथा दादासाहेब तोरने...इन्होने 'पुंडलिक' यह अपना कथा चित्रपट सफलतासे पूरा किया !...फिर भी वह भारत का पहला कथा चित्रपट नहीं  माना गया। इसकी वजह कई थी...पहेला कारन ऐसे बताया जाता  है की वह एक नाटक का चित्रीकरण था ..और दूसरा यह की उसके लिये विदेसी छायाचित्रकार का सहयोग लिया गया था!..इसके बाद ऐसा कहा जाता है की इसकी प्रक्रिया लन्दन में करायी गयी थी !

विदेसी फिल्म के साथ मुंबई में दिखाए गए
'पुंडलिक' चित्रपट की जाहीरात  '
मुंबई में नौकरी करते समय नाटक और बाद में आये चित्रपट माध्यम के प्रति दादासाहब तोरने  आकर्षित हुए थे ..और उसमे काफी दिल्चस्बी लेने लगे थे!..खास कर विदेसी चित्रपटों की कथाए देखकर उन्हें ऐसा लगा की हमारे यहाँ इतनी पुराण कथाए है, उसपर चित्रपट हो सकता है! तब 'श्रीपाद संगीत मंडली' का ,कीर्तिकरजी ने लिखा हुआ  'पुंडलिक ' यह नाटक इसके लिए उन्होंने चुना। उसके बाद अखबार मालिक नानूभाई चित्रे को उन्होंने इस चित्रपट की निर्मिती के लिए राजी किया !


'पुंडलिक ' नाटक पर चित्रपट निर्माण का जब तय हो गया, तब इसके लिए लगने वाली सामग्री को विदेस से लाया गया। इसमें  'बोर्न एंड शेफ़र्ड कंपनी' से 'विल्यम्सन कैमरा' खरीद कर, उसको ऑपरेट करने के लिए जोंसन नाम के कैमरामैन को नियुक्त किया गया ...और इस 'पुंडलिक' नाटक का चित्रीकरण मुंबई में (आज के 'नाज़ ' से करीब 'मंगलदासवाडी' में) किया  गया ..इसमें उस नाटक केही कलाकार थे !..लेकिन चित्रपट के लिए निद्रेशन किया था दादासाहब तोरनेजी ने !.फिर लन्दन से उस की प्रिंट आगे की प्रक्रिया (प्रोसेसिंग ) पूरी करके लायी गयी। बाद में यह 'पुंडलिक' चित्रपट मुंबई के 'कोरोनेशन थिएटर ' में १८ मई ,१९१२ को दिखाया गया !


-मनोज कुलकर्णी